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State of Enlightened

The last stage of an enlightened person is to maintain the constant urge to remain in the state of ultimate awareness. It becomes their final wish that anything or any act should remind them that they are not merely this body or mind. The beauty of that stage is that whatever you think of as a distraction would have become your reminder. So, every little or large need for happiness or pleasure becomes your notifier.




#kamalam

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दिल से निकली शब्दों से खिंची हर तस्वीर यहाँ पर है |

ब्रह्मज्ञान

कुछ ही दिनों पहलें की बात है| में बम्बई से अहमदाबाद की और ट्रेन से सफ़र कर रहा था और बारिश का मौसम था, इसीलिए खिड़की के बाहर का नज़ारा काफी खुशनुमा और आह्लादक था| मानो के गलती से इश्वर के हाथो से हरा रंग गीर गया और धरती पर आके फ़ैल गया हो! बस कुछ वैसा ही नजारा था| वृक्षों और वन जिस तरह दर्शन दे रहे थे की मानो उनके वहां दीवाली न हो! हरे नए कपड़ो में काफी सुंदर और घटिले लग रहे थे| में धीरे धीरे ध्यान में डूब रहा था! तभी मुझे एकाएक ख्याल आया की शायद मेरी ही नजर न लग जाए |  इसी खयालों में सूरत स्टेशन आ गया | मैंने एक बिक्रिवाले से पानी की बोटल ली और पांचसो का नोट थमाया...पर बिक्रिवाले के पास छुट्टे नहीं थे तो सुरत से ही सफर की शुरुआत करने वाले और मेरे बाजू की सिट में बैठे एक अपिरिचित व्यक्ति ने अपने जेब से बीस रूपये का नोट निकला और बिक्रिवाले भाई को दे दिया! मैंने भी कोई आनाकानी नहीं की! शायद् यह मेरा व्यवहार उनको भी काफी पसंद आया, फिर उनका शुक्रियादा करके मैंने कहा की,  “में आपके २० रूपये अभी छुट्टे करवा के दे देता हू”, फिर उन्होंने भी कोई ज्यादा बात नहीं की और “कोई बात नही...

સકામ કર્મ એટલે?

"સકામ કર્મીઓને કૃષ્ણએ તુચ્છ બુદ્ધિવાળા કહ્યા છે." રેફરન્સ: શ્રીમદભગવદગીતા શ્લોક: 2/42-44, 49; 7/20-23; 9/20, 21, 23, 24 ગીતા દર્શન : નિષ્કામ કર્મ : ઓશોની નજરે ફળની ઇચ્છા વિનાનું કર્મ હોઇ જ ન શકે તેવો પશ્ચિમના મનોવૈજ્ઞાનિકોનો દાવો છે. પરંતુ ગીતામાં કૃષ્ણ નિષ્કામ કર્મ ઉપર ભાર મૂકે છે. આપણે જન્મોજન્મથી રાગ વિરાગથી જ કામ કરવા ટેવાયેલા છીએ. સંસારમાં રહેવું એ રાગ છે તો સંસાર છોડી સન્યાસી બનવુ વિરાગ છે તે પણ કર્મ છે. આપણો ત્યાગ પણ કહેવાતા કર્મથી વિરૂધ્ધ છે પણ છે તો કર્મ જ ! જયાં કંઇપણ પામવાની, મેળવવાની અપેક્ષા છે, પછી તે ભગવાન કે ઇશ્વર મેળવવાની જ કેમ ન હોય ! તો પણ તે કર્મ છે, સકામ કર્મ છે, માત્ર સંસારના જ કર્મ, કર્મ નથી જયારે કૃષ્ણ નિષ્કામ કર્મની વાત કરે છે ત્યારે તે પશ્ચિમના મનોવૈજ્ઞાનિકોની સમજ બહાર છે. હવે તો પશ્ચિમના રંગે રંગાયેલા આપણા લોકો માટે પણ સમજની બહાર છે. કૃષ્ણ પ્રત્યેના અહોભાવના કારણે હસીને સાંભળી લઇએ છીએ પણ ઉંડે ઉંડે અસ્વીકૃતિ ઉભી થાય છે અથવા તેનુ અર્થઘટન બદલી નાખીએ છીએ જેમકે પરમાત્મા પામવા એ કર્મ નથી તેવુ સમજાવીએ છીએ પરંતુ આ નિષ્કામકર્મ પુસ્તકમાં આપણી આ જાતની રમતને ...

भीतरी आनंद

કોઈપણ વસ્તુની બનાવટની પાછળ લાગેલાં પ્રયત્નની અનુભૂતિ જ જરૂરી છે તેમાં રહેલાં અનંત આનંદ ને બહાર લાવવા. किसी भी वस्तुकी बनावट के पीछे लगी महेनत की अनुभूति मात्र ही जरूरी ह...

में किस कार्य के हेतु हूँ?

वह कार्य जिसमें बने रहने के लिए अनुशासन में रहने की जरूरत न हों बल्कि अनुसाशन अपने आप ही विकसित हो जाए। #कमलम

सत्य एक भारी पदार्थ

सत्य हमारे ब्रह्माण्ड का सबसे भारी पदार्थ है। इसीलिए वह गहराईओं में पाया जाता है फिर चाहे वह हृदय हो या विशाल पर्वत। कमल

इंसान, समस्याएं और ईश्वर

एक कण मात्र पृथ्वी की ब्रह्मांडमें क्या क़ीमत होगी यह एक इंसानने सोंच लिया किन्तु वोही इंसानकी समस्याओंका उसी ब्रह्माण्ड के सामने क्या कद होना चाहिए वह वो तय नहीं कर पाया! शायद कभी में यह सोंच कर घबड़ा जाता हूं कि कण के भी करोड़ो हिस्सोंके बराबर अपनी समस्याओ के लिए एक इंसान उस ईश्वर और ब्रह्मांड दोनो को दांव पर न लगा दे। - कमल

इश्वरकी दक्षिणा

मनुष्य अगर व्यस्त है तो वह इश्वर की दी गई सबसे अनमोल भेट का आनंद उठा रहा है! पर मनुष्य जबभी ब्रह्मज्ञान की तरफ चल पड़ता है तो इश्वर उसे वह ज्ञान दे भी देता है, किन्तु दक्षिणा स्वरूप इश्वर उससे व्यस्तता वापीस ले लेता है | - कमल